बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
अथवा
दलितोत्थान आन्दोलन में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
अथवा
डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर -
भारतीय समाज को समझने में बी. आर. अम्बेडकर के 'सबआल्टर्न' (अधीनस्थ या दलितोद्वारा) के सम्बन्ध में विचार एवं कार्यों का संक्षिप्त विवेचन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता
(1) जाति व्यवस्था का विरोध - डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था की आलोचना की है और उसका विरोध किया है। डॉ. अम्बेडकर का मत था कि चार वर्णों पर आधारित सामाजिक ढाँचे की हिन्दू योजना ने ही जाति-व्यवस्था और अस्पृश्यता को जन्म दिया है। इस जाति व्यवस्था के कारण असमानता और शोषण व्याप्त है। उनका विचार था कि अस्पृश्यों की समस्याओं का समाधान छोटे-छोटे सुधारों से सम्भव नहीं है वरन् इसके लिये तो क्रान्तिकारी सामाजिक व्यवस्था की आवश्यकता हैं उनका विचार था कि प्रारम्भ में जति व्यवस्था नहीं थी। कालान्तर में समाज के कुछ स्वार्थी लोगों ने जो उच्च स्तर के थे, इस प्रथा को प्रारम्भ किया। उन्होंने कुछ कमजोर लोगों से बलपूर्वक काम कराकर उन्हें अपनी दासता में रखा और उन्हें शिक्षा प्राप्त करने व व्यापार से वंचित कर दिया। इस प्रकार जातिवाद को अपनाकर शूद्रों को निर्बल कर दिया गया। उनके अनुसार जाति व्यवस्था हिन्दू समाज का सबसे बड़ा दोष था। वे जाति व्यवस्था को समूल से नष्ट करना चाहते थे।
(2) श्रमिकों के हितों का समर्थन - उन्होंने श्रमिकों के हितों को भी महत्वपूर्ण समझा और उन्हें मिल मालिकों के शोषण से बचायां उन्होंने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये श्रमिकों का एक स्वतन्त्र दल बनाया।
(3) वर्ण व्यवस्था की आलोचना - डॉ. अम्बेडकर चतुर्वणीय व्यवस्था के प्रबल आलोचक थे। भारतीय हिन्दू व्यवस्था का संगठन चार वर्णों के आधार पर होता है। ये चार वर्ण हैं - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। इस विभाजन में शूद्रों के हितों की रक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। शूद्र शिक्षा व ज्ञान प्राप्त करने से वंचित थे तथा उन्हें आत्मरक्षा का भी अधिकार नहीं था हिन्दूओं 'की परम्परागत व्यवस्था 'मनुस्मृति' के आधार पर चलती है। डॉ. अम्बेडकर 'मनुस्मृति' को अन्याय, असमानता तथा शोषण का प्रतीक मानते हैं। उनमें हिन्दुओं की परम्परागत व्यवस्था के विरुद्ध गहरा आक्रोश था। उनके नेतृत्व में अनेक बार 'मनुस्मृति' को जलाने का कार्य किया गया। उनका विचार "था कि मनुस्मृति ने अछूतों का सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक शोषण करके उन्हें दासता प्रदान की है।
(4) डॉ. अम्बेडकर और धर्म परिवर्तन - डॉ. अम्बेडकर चाहते थे कि अछूत सम्मानपूर्ण ढंग से जीवन बिताएँ। हिन्दू धर्म में असमानता तथा ऊँच-नीच की भावना थी अतः सम्मानपूर्ण और समानता के लिए उन्होंने अछूतों के लिये धर्म परिवर्तन का निश्चय किया। बौद्ध धर्म में उन्होंने समानता का सन्देश पाया। अतः उन्होंने अपने वर्ग के लिये धर्म-परिवर्तन का निश्चय किया। बौद्ध धर्म में उन्होंने समानता का सन्देश पाया। अतः उन्होंने अपने वर्ग के लिये बौद्ध धर्म स्वीकार करने का संकल्प किया और 1956 में 5 लाख व्यक्तियों के साथ उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया इस धर्म परिवर्तन का उद्देश्य अछूत वर्ग को अपनी अलग पहचान बनाकर सम्मानपूर्ण स्थिति प्रदान करता था। डॉ. वी. पी. वर्मा के अनुसार, "उन्होंने बौद्ध धर्म में मार्क्सवाद का नैतिक तथा सहिष्णु विकल्प खोजा और उनके अनुयायियों ने उन्हें गर्व के साथ "बीसवीं सदी का बोधिसत्व" कहा।
(5) अछूतों के उद्धार के लिये कानूनी उपाय - 'मनुस्मृति' तथा अन्य स्मृतियाँ उस समय कानून थी। अतः कानून द्वारा उनमें परिवर्तन करके सामाजिक समानता स्थापित की जानी चाहिए। उन्होंने कानून द्वारा मनुस्मृति को नया रूप दिया तथा ऊँच-नीच के भेद-भावपूर्ण कानूनों को रद्द किया। भारतीय संविधान द्वारा राजनीतिक समानता के साथ-साथ सामाजिक समानता की व्यवस्था की गई। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिक समानता की व्यवस्था भी की गई है और अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को कानून की दृष्टि में अपराध घोषित करने की व्यवस्था की गई है। भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित जातियों तथा जन-जातियों को आरक्षण दिया गया है।
(6) अछूतों के सुधार पर बल - डॉ. अम्बेडकर का विचार था कि अछूतों की वर्तमान स्थिति के लिए उत्तरदायी था। अतः उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अछूतों की अपनी बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए और हीनता की भावना का त्याग करके आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न करनी चाहिए तथा आत्म-सम्मान का जीवन व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अछूतों में स्वतन्त्रता, सम्मान और स्वाभिमान से जीवन व्यतीत करने की इच्छा होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अछूतों को संगठित होना चाहिए तथा शिक्षा प्राप्त करके अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए। उन्होंने अछूतों को सरकारी नौकरी में जाने तथा खेती करने का सुझाव दिया। उनका विचार था कि अछूतों की स्थिति में सुधार के लिए अछूत स्त्रियाँ बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने स्त्रियों को साफ रहने तथा स्वच्छ कपड़े पहनने का परामर्श दिया और इस बात बल दिया कि स्त्रियों का स्वयं भी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और बच्चों को भी शिक्षा देनी चाहिए। मदद की सभा में उन्होंने स्त्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि "कभी मत सोचो कि तुम अछूत हो, साफ-सुथरे रहो। जिस तरह के कपड़े सवर्षा स्त्रियाँ - पहनती है, तुम भी पहनो। यह देखों कि वे साफ हैं। यदि तुम्हारे पति और लड़के शराब पीते है तो उन्हें खाना मत दो। अपने बच्चों को स्कूल भेजा।"
(7) दलितों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व - डॉ. अम्बेडकर दलितों तथा अछुतों के लिये पृथक प्रतिनिधित्व के समर्थक थे। उनका विचार था कि मुसलमानों की भाँति अछूतों को भी पृथक प्रतिनिधित्व दिया जाए। उन्होंने इसके लिए अथक् प्रयत्न किए। उन्होंने प्रथम तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलनों में अछूतों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व पर ही सबसे अधिक बल दिया। उन्होंने गांधी जी से वार्तालाप करते हुए अछूतों के उद्धार पर विशेष चर्चा की। इन्हें कांग्रेस तथा महात्मा गांधी पर विश्वास नहीं था। उन्होंने कहा था कि, "अब हमारा विश्वास न आप पर है और न ही आपकी कांग्रेस पर, यदि हमारा विश्वास किसी बात पर है तो वह अपना उद्धार करने पर "। इनके इन शब्दों से स्पष्ट होता है कि वे अपनी जाति के उत्थान को सर्वोपरि महत्व देते थे। इसके विपरीत गांधी जी का विचार था कि अछूत वर्ग हिन्दू समाज का एक अविभाज्य अंग है और ऐसी किसी भी स्थिति को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिससे हिन्दू समाज का एक अविभाज्य अंग है। और ऐसी किसी भी स्थिति को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिससे हिन्दू समाज का विघटन हो। संक्षेप में डॉ. अम्बेडकर अछूतों को पृथक प्रतिनिधित्व देना चाहते थे और इस प्रकार अछूत वर्ग को एक बड़ी राजनीतिक शक्ति का रूप देना चाहते थे।
(8) अछूतों को सभी सार्वजनिक स्थानों के प्रयोग का अधिकार - डॉ. अम्बेडकर का मत था कि सभी सार्वजनिक स्थान मन्दिर कुएँ और तालाब आदि सभी मनुष्यों के लिए सुलभ होने चाहिए। वस्तुतः वे चाहते थे कि मन्दिरों, कुओं तथा तालाबों का सभी को उपयोग करने का अधिकार होना चाहिए। और अछूतों को इनके प्रयोग से वंचित करना न्यायोचित नहीं है। उन्हीं के प्रयासों से गंगा सगार तालाब का पानी पिया गया, यह वही तालाब था जहाँ अछूतों को पानी पीने की आज्ञा नहीं थी। 1930 में उन्होंने गुजरात में काला- राम मन्दिर में प्रवेश के लिए एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया। उन्होंने 'महार वतन' कानून का विरोध किया, जो महाराष्ट्र के महारों के लिए "बँधुआ मजदूरी और दासता" की व्यवस्था करता था। उनहोंने "समता सैनिक दल" की भी स्थापना की।
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- प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
- प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
- प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
- प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
- प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
- प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
- प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
- प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
- प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
- प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
- प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
- प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
- प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
- प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
- प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
- प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।